Poetry
…इंसान जाने कहा खो गए ….By Krishika Sankhant
...इंसान जाने कहा खो गए .... जाने क्यों अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते, जाने क्यों अब मस्त मौला...
...इंसान जाने कहा खो गए .... जाने क्यों अब शर्म से चेहरे गुलाब नहीं होते, जाने क्यों अब मस्त मौला...